काश ऐसा होता तो कितना अच्छा होता, कि 21 दिसम्बर 2012 तक हकीकत में दुनिया ख़त्म हो चुकी होती और पूरी पृथ्वी नष्ट हो गई होती तो पूरी दुनिया (खासकर भारत जैसे देशों) से सम्पूर्ण बुराइयों का अनादि काल के लिये अंत हो जाता;
न होती कहीं पर गरीबी, न बच्चों की भुखमरी,
नहीं होता देश में भ्रष्टाचार, और न रहता कोई बेरोजगार.
न होते जातिवाद के झगडे, न नस्लवाद की हताशा,
न होते जातिवाद के झगडे, न नस्लवाद की हताशा,
नही होता बलात्कार और न रहता राजनीति का तमाशा.